Thursday, October 19, 2023

उम्मीद का फुल



नख्ले याद को मै
काट कर फेंकना चाहता हूँ
मगर कमबख्त उम्मीद का फुल
तभी शाख पर मुस्कुराता है।

(*नख्ल=वृक्ष)

       ("やraτa প")                          
www.prataprachana.blogspot.com
                 १९. १०.२०२३

No comments:

Post a Comment

राधेस बोल लागे....

चंद्रफुलाच्या छायेमधला एक उसासा घेऊन आलो चांदचकोरी कथा बिलोरी हृदयी तुझ्या मी लिहून आलो किती कवडसे वितळून झाले तुझ्या हातच्या तळव्यारेघा  कि...