न राहवून फकीर.....
क्यों नही करते तुम
जिक्र ए जुदाई ?
दिल तो हमेशा तुम्हारा
देता है उसे दुहाई ।
उम्रे बित जाती है
पत्थर भी रोता है।
बिछड़े कोई तन से
रूह से तो अपना होता है ।
परिंदे को बता
तेरे मन की बात
बेचैनी का मंज़र
और ए तनहा रात ।
...
निःश्वास टाकून मी...
बाबा!
तो तरसही खात नाही
बेईबादत चुप ही राहत नाही
बेशक ओ गया ...
लेकीन आँखो मे ही रह गया
व्यापला तिने अवकाश
भारली आहे समग्र भुई
कशास करू मी जिक्र उगाच?
बात मुह से निकली और पराई हुई...
मला तिचा भाव पण
करायचा नसतो विलग
है ही ओ सबसे जुदा
सबसे ...अलग....
फकिर- दश्त भरा दिल लेकर
कब तक सैलाब रोक सकोगे?
मी: एक तो कयामत
या वो आने तक...
मेरा सैलाब भी उसीकी
बाहो का दिवाना।
फकिर : पागल है तु पक्का ।
मी : बाबा ... यह कहकर
आपने उसकी याद ताजा कर दी
शुक्रिया ।
फकिर : या अल्लाह!
इस दिवाने को सुकून फरमा ।
मी हसतो आहे "आमिन" म्हणत....
༄᭄प्रताप ࿐
"रचनापर्व"
www.prataprachana.blogspot.com
२०.०९. २०२२
क्यों नही करते तुम
जिक्र ए जुदाई ?
दिल तो हमेशा तुम्हारा
देता है उसे दुहाई ।
उम्रे बित जाती है
पत्थर भी रोता है।
बिछड़े कोई तन से
रूह से तो अपना होता है ।
परिंदे को बता
तेरे मन की बात
बेचैनी का मंज़र
और ए तनहा रात ।
...
निःश्वास टाकून मी...
बाबा!
तो तरसही खात नाही
बेईबादत चुप ही राहत नाही
बेशक ओ गया ...
लेकीन आँखो मे ही रह गया
व्यापला तिने अवकाश
भारली आहे समग्र भुई
कशास करू मी जिक्र उगाच?
बात मुह से निकली और पराई हुई...
मला तिचा भाव पण
करायचा नसतो विलग
है ही ओ सबसे जुदा
सबसे ...अलग....
फकिर- दश्त भरा दिल लेकर
कब तक सैलाब रोक सकोगे?
मी: एक तो कयामत
या वो आने तक...
मेरा सैलाब भी उसीकी
बाहो का दिवाना।
फकिर : पागल है तु पक्का ।
मी : बाबा ... यह कहकर
आपने उसकी याद ताजा कर दी
शुक्रिया ।
फकिर : या अल्लाह!
इस दिवाने को सुकून फरमा ।
मी हसतो आहे "आमिन" म्हणत....
༄᭄प्रताप ࿐
"रचनापर्व"
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२०.०९. २०२२

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